उस्ताद की एक मधुर स्मृति
ये किताबें मेरे जीवन के कुछ मधुर संयोगों में से हैं। भारतीय शास्त्रीय संगीत पर आधारित, ये किताबें मेरे उस्ताद, प्रोफेसर उमा शंकर चौबे, के गुरु, आचार्य विश्वनाथ रिंगे "तनरंग", द्वारा रचित हैं।

इन किताबों की खोज एक रोचक अनुभव थी। आज से कुछ साल पहले मैं गूगल पर एक राग के बारे में जानकारी खोज रहा था। तभी मेरी नज़र एक वेबसाइट पर पड़ी: www.tanarang.com. अचानक दिमाग में कौंधा, "यह तो उस्ताद के गुरु जी का नाम है!" फिर वेबसाइट में दिए फ़ोन नंबर से पता लगा कि वे उस्ताद के गुरु ही हैं।

आज ही इन 2 किताबों को इंदौर से मँगवाया। आज इन्हें सामने देख कर यूँ लगता है मानो मरहूम उस्ताद मेरे सामने खड़े हैं। और साथ ही याद आते हैं उनके द्वारा सुनाई गईं संगीत विद्यालय की खट्टी-मीठी कहानियाँ।

जब कभी इन किताबों को सामने रखकर रियाज़ करूँगा तो यूँ लगेगा मानो उस्ताद और उनके गुरुजी की अतुलनीय आभा से मेरी कला का जगत आलोकित हो गया।